



एडवोकेट दिनेश दाधीच.
हनुमानगढ़ जिले की सबसे बड़ी समस्या नशा है। दिन ब दिन नशा तस्करों व नशा करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि रोज मीडिया में दो-तीन समाचार प्रमुखता से नशा के संबंध में देखने को मिल जाते हैं। हनुमानगढ़ पुलिस के तमाम प्रयासों और सख्ती के बावजूद भी नशा रुकने का नाम नहीं ले रहा। नशे ने हनुमानगढ़ को इस कदर अपनी गिरफ्त में ले लिया है कि समाज का कोई भी वर्ग इससे अछूता नजर नहीं आता। खासकर इसने युवा पीढ़ी को निगलना शुरू कर दिया है। दर्जनों परिवारों के ‘चिराग’ बुझ गए हैं। लोग बेमौत मर रहे हैं। बावजूद इसके जो प्रयास होने चाहिए, नहीं हो रहे तो यह अफसोस की बात है।

पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों एवं विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की ओर से भी शिक्षा के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लोगों को नशे के दुष्प्रभावों की जानकारी दी जा रही है। यह अलग बात है कि नशा फिर भी बढ़ता ही जा रहा है। अगर यूं ही नशा करने वालों व तस्करो ंकी संख्या बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब हनुमानगढ़ में हर वार्ड, गली, मोहल्ला, गांव, ढाणियां इसकी चपेट में आ जाएं।

नशे के विरुद्ध सख्त कार्यवाही व सख्त कानून व्यवस्था होने के बावजूद भी अपराधी बेखौफ होकर नशे के विरुद्ध अपराध करने में पीछे नहीं हटते। इस विषय पर आमजन को चिंतन करना आवश्यक है। प्रत्येक वर्ग को इसके विरुद्ध रणनीति बनाकर लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है यदि इस प्रकार से प्रयास नहीं किया गया तो नशा को घर-घर तक पहुंचने से कोई नहीं रोक पाएगा। आए दिन नशा से कोई ना कोई युवा अपनी जान गंवा रहा है।

बीड़ी, सिगरेट, जर्दा, पान, गुटखा जो ज्यादातर व्यक्तियों द्धारा उपयोग में लिया जाता है बाद में यही विभिन्न बीमारियों का कारण बनते हैं व इनको नशा की शुरुआत करने की पहली सीढी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हनुमानगढ़ में हेरोइन यानी चिट्टा का उपयोग अत्यधिक हो रहा है। जिसकी लत पड़ने के बाद छोड़ जाना मुश्किल साबित हो रहा है। इसी प्रकार पोस्त, अफीम व नशीली दवाइयां इत्यादि जिनके प्रकरण अत्यधिक मात्रा में हनुमानगढ़ में दर्ज हो रहे हैं।
विधिक स्थिति पर एक नजर
हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर विशिष्ट न्यायालय एनडीपीएस प्रकरण, हनुमानगढ़ में हनुमानगढ़ जंक्शन, हनुमानगढ़ टाउन, सदर, पीलीबंगा, गोलूवाला, टिब्बी एवं तलवाड़ा झील में दर्ज एनडीपीएस के प्रकरणों की सुनवाई की जाती है। इसी प्रकार संगरिया अपर जिला एवं सैशन न्यायालय में केवल संगरिया पुलिस थाना, नोहर अपर जिला एवं सैशन न्यायालय में नोहर, रावतसर, पल्लू, खुईया, एवं अपर जिला एवं सेशन न्यायालय भादरा में भादरा, भिरानी व गोगामेड़ी पुलिस थानों में दर्ज एनडीपीएस के प्रकरणों की सुनवाई की जाती है। इस प्रकार यदि हनुमानगढ़ जिले में एनडीपीएस के प्रकरणों की सुनवाई के संबंध में क्षेत्राधिकार की बात की जाए तो विधिक क्षेत्राधिकार को चार भागों में विभाजित किया गया है।
पांच साल में इतनी कार्रवाई
अब यदि सिर्फ हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर स्थित एनडीपीएस कोर्ट में सुनवाई किए जाने वाले प्रकरणों कि पिछले पांच वर्षों की बात की जाए तो जनवरी 2019 में इस न्यायालय में केवल मात्र 85 प्रकरण ही विचाराधीन थे परंतु केवल मात्र 5 वर्षों में अब इसी न्यायालय में केवल 8 थानों में दर्ज प्रकरण की संख्या करीब 650 के पास पहुंच चुकी है। यह संख्या न्यायालय में दर्ज प्रकरणों की है इसके अतिरिक्त करीब 70 प्रकरण ऐसे हैं जिनको दर्ज किया जाना शेष है या अनुसंधान में पेंडिंग चल रहे हैं।
अब जरा सोच कर देखिए कि जब केवल मात्र हनुमानगढ़ मुख्यालय पर यह स्थिति है तो संगरिया, नोहर व भादरा न्यायालयो में दर्ज प्रकरणों एवं अनुसंधान में पेंडिंग प्रकरणों की स्थिति क्या होगी और किस प्रकार से निरंतर नशा से संबंधित अपराध बढ़ते जा रहे हैं।

नशे के विरुद्ध अपराधों मे हुए निर्णयो पर एक नजर
अब यदि पिछले 5 वर्षों में केवल हनुमानगढ मुख्यालय पर स्थित एनडीपीएस कोर्ट द्वारा नशे के विरुद्ध अपराधों के प्रकरणों में किये गये निर्णयों की बात की जाए तो अब तक करीब 100 प्रकरणों में निर्णय सामने आया है जिसमें करीब 70 प्रकरणों में अपराधियों को कठोर सजा से दंडित किया गया है शेष कुछ प्रकरणों में एफएसएल रिपोर्ट नेगेटिव आने से प्रकरणों में मुल्जिमान को डिस्चार्ज किया गया है तथा कुछ प्रकरणों में अपराधियों को अनुसंधान में रही विधिक त्रुटियों के कारण दोष मुक्त किया गया है। इससे यह बात तो स्पष्ट है कि पुलिस द्वारा नशे के विरुद्ध किए गए अपराधों के प्रति गंभीरता दिखाते हुए सख्त कार्रवाई की जा रही है तथा इसके साथ-साथ अभियोजन पक्ष द्वारा भी प्रभावी पैरवी की जा रही है बावजूद इतनी सख्त कार्रवाई के निरंतर नशे के अपराध बढ़ना समाज के लिए बहुत ही चिंता का विषय है। इस पर सभी वर्गों को एक मंच पर आकर गंभीरता से विचार कर इसके विरुद्ध कार्रवाई किए जाने के संबंध में कार्य करने की आवश्यकता है।

नशा जानलेवा है और बढ़ते अपराधों का कारण भी
अभियोजन पक्ष द्वारा प्रभावी पैरवी की जाकर अपराधियों को सख्त सजा दिलवाई जा रही है। एनडीपीएस प्रकरणों में विशेष रूप से अपराधियों के विरुद्ध सजा प्रतिशत भी बढ़ा है। अनुसंधान में यदि कोई विधिक त्रुटि न हो तो निश्चित रूप से एनडीपीएस के प्रकरण में मुलजिम को सजा की सम्भावना ज्यादा होती है। नशा न केवल जानलेवा है या एक सामाजिक बुराई है बल्कि इसके साथ-साथ समाज के विरुद्ध अपराधों को भी बढ़ाता है। नशा किया हुआ व्यक्ति समाज के विरुद्ध अपराध करने में पीछे नहीं हटता क्योंकि नशा किए जाने के बाद व्यक्ति अच्छे और बुरे की पहचान नहीं कर सकता बल्कि वह किसी भी अपराध को नशे की लत के कारण कर देता है इसलिए आए दिन महिलाओं के विरुद्ध अपराध बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में जरूरी है समाज अपना दायित्व निभाए। एकजुट होकर नशे का नाश करने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करे। ध्यान रहे, नशा न सिर्फ व्यक्ति, परिवार, समाज बल्कि देश का भी विनाश कर देता है। इसलिए अब भी संभलने का वक्त है। यकीनन।
-लेखक एनडीपीएस कोर्ट हनुमानगढ़ में विशिष्ट लोक अभियोजक हैं

