कौन हैं शिव ?

गोपाल झा.
शिव। सहज हैं। सुंदर हैं। सर्वव्यापक हैं। प्रकृति के उपासक हैं। वे महल में नहीं रहते। कैलाश पर खुले आसमान के नीचे निवास करते हैं। शंकर को महंगी वस्तुओं से मोह नहीं। प्राकृतिक व सुलभ वस्तुओं से प्रसन्न होते हैं। जैसे-भांग व धतूर। एक लोटा जल। थोड़ा सा अक्षत। भावपूर्ण आराधना हो तो भगवान आशुतोष गदगद हो जाते हैं।
शिव। प्रकृति के रक्षक हैं। समुद्र मंथन हुआ। सुर और असुर अनमोल रत्न हासिल करने के संघर्ष में फंसे। जब घट से गरल यानी विष प्रकट हुआ तो सब पीछे हो गए। जहर के दुष्प्रभाव से प्रकृति को बचाने कोई आया तो वे भोलेनाथ हैं। कुदरत को बचाने के लिए विषपान करने से भी नहीं चूके।
हमारे आसपास भंगेरी-गजेरी किस्म के लोग खुद को भोलेनाथ का भक्त कहने से नहीं चूकते। महादेव का नाम लेकर वे नशेड़ी बने रहते हैं। भगवान शंकर असीम शक्ति धारण करते हैं। वे जहर को कण्ठ के नीचे समाहित होने से रोकने में सक्षम हैं। साधारण मनुष्य नशे की चपेट में आकर अपना समूल नष्ट कर लेता है, जो शिव को पसंद नहीं।
शिव सादगी के प्रतीक हैं। छल और कपट से दूर हैं। इसलिए भोला कहलाते हैं। धर्म की रक्षा के लिए महादेव प्रलय का पर्याय बन जाते हैं। शिव सत्य हैं, सनातन हैं। सुंदर हैं। शिव तो सिर्फ शिव हैं। शिव का आकार है लेकिन वे निराकार भी हैं। शिव सृष्टि के रचयिता हैं, पालनकर्ता हैं और संहारक भी। शिव जन्म और मृत्यु से परे हैं। शिव से जुड़ी हर लीला मानव मात्र के लिए संदेश है। शिव को समझने मात्र से जीवन सहज होने लगता है, सुलभ हो जाता है। शिव की महिमा अपरम्पार है।
आप सब पर शिव की विशेष कृपा बनी रहे। महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *