




डॉ. एमपी शर्मा.
आधुनिक कृषि में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके गंभीर दुष्प्रभाव भी सामने आए हैं। ये न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि मानव स्वास्थ्य और जैव विविधता के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के कारण मिट्टी, जल स्रोत, वायु और जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। लगातार रासायनिक खादों के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो जाती है, जिससे जैविक तत्वों की मात्रा कम हो जाती है। खेतों से बहकर जल स्रोतों (तालाब, नदियाँ, भूजल) में जाने वाले रासायनिक तत्व जल को विषैला बना देते हैं। कीटनाशकों के अणु वायुमंडल में मिलकर जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। रसायनों के कारण परागण करने वाले कीट, पक्षी और अन्य जीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे पारिस्थितिकी असंतुलित हो जाती है।
रासायनिक खाद और कीटनाशकों के संपर्क में आने से विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इससे खुजली, लाल चकत्ते, एलर्जी, साँस लेने में तकलीफ, अस्थमा जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। इसके अलावा पेट दर्द, उल्टी, डायरिया और फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएँ भी हो सकती हैं।
इन बीमारियों का खतरा
ग्लाइफोसेट, ऑर्गेनोफॉस्फेट और डीडीटी जैसे रसायनों से लीवर, किडनी और त्वचा कैंसर का खतरा रहता है। पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या कम होती है, महिलाओं में हार्माेन असंतुलन और गर्भपात का खतरा बढ़ता है। लगातार संपर्क से याददाश्त की समस्या, न्यूरोटॉक्सिसिटी और मानसिक विकार हो सकते हैं। कुछ कीटनाशक रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल असंतुलन पैदा कर सकते हैं, जिससे हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है।
रासायनिक खाद और कीटनाशकों के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने आवश्यक हैं।
जैविक खेती को बढ़ावा देना: गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट और प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करना।
फसल चक्र और मिश्रित खेती: इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और कीट नियंत्रण स्वाभाविक रूप से होता है।
सुरक्षित कीटनाशक प्रबंधन: छिड़काव करते समय मास्क, दस्ताने और अन्य सुरक्षा उपायों का उपयोग करना।
शुद्ध पेयजल का सेवन: कीटनाशकों से दूषित पानी से बचने के लिए फ़िल्टर किया हुआ पानी पीना।
जैविक उत्पादों को प्राथमिकता देना: जैविक सब्जियाँ और फल खाने से शरीर में विषाक्त पदार्थों का स्तर कम होता है।
रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से पर्यावरण और मानव जीवन पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। जैविक खेती और सतत कृषि तकनीकों को अपनाकर इन दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। हमें अपने स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए सतर्क रहना होगा और प्राकृतिक विकल्पों को अपनाना होगा।
-लेखक जाने-माने सर्जन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष हैं


