खरबूजां री नींद

उतराधै सींवाड़ै रा चावा-ठावा कवि हा जनकराज जी पारीक। श्रीकरणपुर रा रैवासी पारीक जी रा गीत…

जावो तो बरजूं नहीं…!(लोक री ‘आर्ट ऑफ लिविंग’)

डॉ. हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’लोक री बातां सैं सूं न्यारी। बठै बातां री कमी कठै! राजस्थानी लोक…