अनूठी पहल से सबके लिए प्रेरक बन गए डॉ. लालगढ़िया, जानिए… कैसे ?

image description

ग्राम सेतु डेस्क.
डॉ. बीडी लालगढ़िया। एक ऐसा नाम जो सिर्फ चिकित्सा जगत में नहीं, बल्कि मानवता की सेवा में भी पहचाना जाने लगा है। शांत, संयत और चेहरे पर स्थायी मुस्कान लिए हुए, यह डॉक्टर अपने भीतर असीम सेवा भाव संजोए हुए हैं। हनुमानगढ़ टाउन में अग्रवाल धर्मशाला के सामने स्थित उनका क्लीनिक अब सिर्फ एक चिकित्सा केंद्र नहीं रहा, बल्कि जरूरतमंदों के लिए ‘जीवनरक्षक उपकरण बैंक’ बन गया है। यह बैंक उन गंभीर मरीजों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है, जिनके लिए किसी अस्पताल में उपचार की उम्मीद खत्म हो जाती है। यूं कहिए, डॉक्टर जवाब दे देते हैं, परिजनों से यह कहते हुए कि ‘अब सेवा करो’। जाहिर है, परिजनों के सामने बड़ी समस्या होती है कि रूटीन की देखभाल कैसे करें ? संबंधित उपकरण खरीद करना सबके बूते की बात नहीं।


संवेदनशीलता से उपजी प्रेरणा
डॉ. लालगढ़िया ‘ग्राम सेतु डॉट कॉम’ से कहते हैं, ‘परिवार में एक बार इस दौर से गुजरना पड़ा था। चूंकि हम डॉक्टर थे, इसलिए घर पर एक रूम को आसीयू में तब्दील कर दिया लेकिन हर आदमी के लिए यह संभव नहीं। फिर अपने पेशे में अनगिनत मरीजों को देखा। कुछ अस्पताल में रहने में असमर्थ होते, तो कुछ आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की अनुपलब्धता के कारण घर पर ही तड़पते। यह स्थिति उन्हें भीतर तक झकझोर देती। एक डॉक्टर के रूप में उन्होंने महसूस किया कि चिकित्सा केवल अस्पतालों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसे हर उस व्यक्ति तक पहुंचाना चाहिए जिसे इसकी जरूरत हो।
इसी सोच ने उन्हें प्रेरित किया कि वे अपने क्लीनिक को एक ‘जीवनरक्षक उपकरण बैंक’ में तब्दील करें। यह बैंक खासतौर पर उन लोगों के लिए तैयार किया गया है, जिन्हें घर पर देखभाल के लिए जरूरी उपकरण चाहिए लेकिन आर्थिक या अन्य कारणों से वे उन्हें खरीद नहीं सकते।


जीवनरक्षक उपकरण बैंक की स्थापना
डॉ. लालगढ़िया ने अपने निजी साधनों से इस बैंक की शुरुआत की। उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, व्हीलचेयर, नेब्युलाइजर, बायपैप मशीन, सक्शन मशीन, और अन्य आवश्यक उपकरणों को इकट्ठा किया। फिर उन्होंने एक सरल नियम बनाया। कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति बिना किसी शुल्क के इन उपकरणों को प्राप्त कर सकता है, बस एक शर्त थी कि इस्तेमाल के बाद उसे वापस करना होगा ताकि अन्य जरूरतमंदों को भी मदद मिल सके।
यह बैंक पूरी तरह से निःशुल्क सेवा प्रदान करता है। किसी गरीब या जरूरतमंद को उपकरण लेने के लिए किसी प्रकार की औपचारिकता पूरी करने की जरूरत नहीं है। बस उन्हें आकर अपनी जरूरत बतानी होती है, और उन्हें तुरंत सहायता मिल जाती है।
सामाजिक योगदान और जागरूकता
इस पहल ने न केवल मरीजों की मदद की, बल्कि समाज में एक नई सोच को भी जन्म दिया। लोग धीरे-धीरे इस मुहिम से जुड़ने लगे। जाने-माने फिजिशियन डॉ. पारस जैन कहते हैं कि यह सराहनीय पहल है। जितनी प्रशंसा की जाए, कम है।’ स्थानीय समाजसेवी संस्थाओं और प्रशासन ने भी इस पहल की सराहना की। धीरे-धीरे, बैंक की पहुंच बढ़ने लगी, और अब यह न केवल हनुमानगढ़ बल्कि आसपास के गांवों तक भी अपनी सेवाएं दे रहा है।
संघर्ष और चुनौतियां
हालांकि इस नेक पहल को स्थापित करना आसान नहीं था। सबसे बड़ी चुनौती थी संसाधनों की कमी। चिकित्सा उपकरण महंगे होते हैं, फिर भी वे इस कार्य में जुटे हुए हैं। डॉ. लालगिढ़या के पुत्र डॉ. विकास गुप्ता भी डेंटिस्ट हैं। पुणे में अस्पताल चलाते हैं लेकिन महीने में चार दिन के लिए हनुमानगढ़ स्थित अपने पुराने क्लीनिक में सेवा देते हैं।
भविष्य की योजनाएं
डॉ. लालगढ़िया अब इस पहल को और बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बना रहे हैं। उनका सपना है कि हर जरूरतमंद मरीज को समय पर चिकित्सा सहायता मिले और कोई भी व्यक्ति सिर्फ संसाधनों की कमी के कारण पीड़ा न सहे।
वे चाहते हैं कि अन्य डॉक्टर और समाजसेवी भी इस पहल से प्रेरित होकर अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे बैंक स्थापित करें। इसके लिए वे कई संस्थाओं से बातचीत कर रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही इस सेवा का विस्तार होगा।
एक मिसाल, एक प्रेरणा
डॉ. बीडी लालगढ़िया ने यह साबित कर दिया कि अगर दिल में सेवा का जज़्बा हो, तो कोई भी बदलाव संभव है। उनके जीवनरक्षक उपकरण बैंक ने अनगिनत लोगों की जिंदगी को आसान बनाया है और समाज में एक नई सोच को जन्म दिया है। उनकी यह पहल सिर्फ चिकित्सा सेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इंसानियत और सेवा भाव का प्रतीक बन गई है। आज, जब दुनिया में हर कोई अपनी सुविधाओं और लाभों की चिंता में लगा हुआ है, ऐसे में डॉ. लालगढ़िया जैसे लोग समाज के लिए एक प्रकाशस्तंभ की तरह काम कर रहे हैं। उनकी यह कहानी हमें सिखाती है कि जब तक हम दूसरों की मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाते, तब तक समाज में वास्तविक बदलाव नहीं आ सकता। यह केवल एक डॉक्टर की कहानी नहीं है, बल्कि यह मानवता की सेवा का एक अद्भुत उदाहरण भी है।

One thought on “अनूठी पहल से सबके लिए प्रेरक बन गए डॉ. लालगढ़िया, जानिए… कैसे ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *