


ग्राम सेतु ब्यूरो.
अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद का वार्षिक अधिवेशन कुरुक्षेत्र में हुआ। इसमें परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं हरिजन सेवक संघ दिल्ली के चेयरमैन प्रो. शंकर कुमार सान्याल ने हनुमानगढ़ के डॉ. शिवकुमार शर्मा को प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए ‘विनोवा भावे सत्व चिकित्सक सम्मान’ से नवाजा। डॉ. शिवकुमार शर्मा को यह सम्मान उनके समर्पण, उत्कृष्ट कार्यों तथा प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ प्रदान किया गया। इस अवसर पर एनआईटी कुरुक्षेत्र के निदेशक डॉ. रम्मन्ना रेड्डी, राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान पुणे की निदेशक डॉ. सत्यलक्ष्मी, श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र के कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह, योग आयोग पंचकुला हरियाणा के सदस्य डॉ. मनीष कुकरेजा, जनसंपर्क विभाग जयपुर के पूर्व अतिरिक्त निदेशक गोविंद पारीक, श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के प्रो. पी.सी. मंगल, राजस्थान विधानसभा में आयुर्वेद चिकित्सा प्रभारी डॉ. पीयूष त्रिवेदी, आयुर्वेद विभाग राजस्थान के पूर्व उपनिदेशक डॉ. राजेंद्र कुमार आदि मौजूद थे। इस कार्यक्रम में परिषद के उपाध्यक्ष स्वामी डॉ. शंकरानंद सरस्वती, डॉ. आर.एस. दवास, महासचिव डॉ. एन.पी. सिंह, डॉ. प्रदीप टाकू ने भी शिरकत की। अतिथियों ने डॉ. शिवकुमार शर्मा को इस सम्मान के लिए बधाई दी और उनके प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान की सराहना की। डॉ. शिवकुमार शर्मा वर्षों से प्राकृतिक चिकित्सा के विकास और विस्तार में समर्पित हैं। उन्होंने न केवल इस क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं दी हैं, बल्कि अपने ज्ञान और अनुभव से कई चिकित्सकों और रोगियों को लाभान्वित किया है। इस अवसर पर प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व और इसके आधुनिक समाज में बढ़ते प्रभाव पर भी चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा न केवल रोगों के उपचार में कारगर है, बल्कि यह स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने में भी सहायक है।


