



ग्राम सेतु ब्यूरो.
राजस्थान की भजनलाल सरकार सरकार गांवों की सफाई को लेकर एक बड़ा और क्रांतिकारी कदम उठाने जा रही है। इस योजना के तहत राजीविका से जुड़ी महिला स्वयं सहायता समूहों को ग्राम पंचायत स्तर पर सफाई का ठेका दिया जाएगा। इस पहल के माध्यम से सरकार न केवल गांवों की स्वच्छता को सुनिश्चित करना चाहती है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है। राज्य सरकार का यह प्रयोग पूरे देश में अपनी तरह का पहला प्रयास होगा। प्रदेश में 10,000 ग्राम पंचायतें और 43,000 से अधिक राजस्व गांव हैं। सरकार की योजना है कि इन सभी गांवों की सफाई का जिम्मा महिला समूहों को सौंपा जाए। इससे गांवों में सफाई व्यवस्था मजबूत होगी और महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
राजीविका से जुड़ी हैं लाखों महिलाएं
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राजीविका (राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद) के अंतर्गत पहले से ही करीब 3.60 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है, जिसमें 43 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं। अब इन समूहों को सफाई व्यवस्था से जोड़कर बड़ा सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने की योजना बनाई जा रही है।
सफाई कर्मियों को मिलेगा 9,000 रुपये मासिक मानदेय
गांवों की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार ने प्रत्येक सफाई कर्मचारी को न्यूनतम 9,000 रुपये मासिक मानदेय देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, प्रत्येक ग्राम पंचायत को प्रति माह 1 लाख रुपये की राशि सफाई कार्यों के लिए उपलब्ध कराई जा रही है। इस राशि का उपयोग सफाई कर्मियों के वेतन, कचरा प्रबंधन और सफाई उपकरणों की खरीद के लिए किया जाएगा।
महिलाओं की भागीदारी से गांव होंगे स्वच्छ
राज्य के पंचायत राज मंत्री मदन दिलावर ने कहा, ‘महिलाएं स्वच्छता को लेकर अधिक संवेदनशील होती हैं। वे अपने घरों को स्वच्छ रखने में विशेष रुचि रखती हैं। यदि महिलाएं घर के साथ-साथ गांव की सफाई की जिम्मेदारी संभाल लेंगी तो पूरे गांव की तस्वीर बदल जाएगी।’
योजना से होंगे कई फायदे
-गांवों की सफाई व्यवस्था मजबूत होगी।
-ग्राम पंचायतों में स्वच्छता को लेकर जागरूकता बढ़ेगी।
-महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
-गांवों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कम होंगी।
-ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
जल्द लागू होगी योजना
सरकार इस योजना का पूरा खाका तैयार कर चुकी है और जल्द ही इसे लागू किया जाएगा। इससे न केवल गांवों की सफाई व्यवस्था सुधरेगी बल्कि महिलाओं को स्वावलंबी बनने का अवसर भी मिलेगा। यह कदम महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकता है।


