आईएएस कानाराम: ग्राम सेवक से कलक्टर तक का सफर

ग्राम सेतु ब्यूरो.
हनुमानगढ़ के नवनियुक्त कलक्टर कानाराम सीरवी जिद और जुनून के बूते भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए हैं। इनकी कहानी संघर्षों से भरी है। कानाराम की खासियत है कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में कभी धैर्य नहीं खोया और डटकर सामना किया। लिहाजा, आज सफलता के शीर्ष पर हैं।

पाली जिले में सोजतरोड के पास है छोटा सा गांव सिसरवादा। इसी गांव में पिता गेनाराम सीरवी व माता सुगनादेवी के घर जन्मे कानाराम का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। पढ़ने-लिखने में मेधावी होने के बावजूद कानाराम के घर में अध्ययन का उचित माहौल नहीं था। बावजूद इसके उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का ख्वाब देखा। सोजत से ही हायर सेकेंडरी की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने बांगड़ कॉलेज से एमएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की।
पढ़ाई के दौरान कानाराम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करते रहे। इसी दौरान ग्राम सेवक पद पर उनका सलेक्शन हो गया। जॉइन करने के बाद ज्यादा समय तक उन्होंने बतौर ग्राम सेवक की नौकरी नहीं की। अलबत्ता, डेढ़ साल बाद नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उन्हांेंने बी.एड की परीक्षा पास की और सेकेंड ग्रेड टीचर बनने में कामयाब हो गए। हालांकि मन में आईएएस बनने का ख्वाब उन्हें यहां भी ज्यादा समय तक टिकने नहीं दिया। ऐसे में महज सात माह बाद ही कानाराम ने इस नौकरी को भी छोड़ दिया और यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली शिफ्ट हो गए। साल 2012 में जब परिणाम आया तो कानाराम वरीयता सूची में 54 वें स्थान पर थे।
आम जन के प्रति संवेनदशील रुख रखने वाले आईएएस कानाराम सीरवी इस वक्त माध्यमिक शिक्षा विभाग बीकानेर के निदेशक हैं। इससे पहले वे स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी राजस्थान जयपुर के संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी पद पर कार्यरत थे।

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