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हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर सनराइज इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की ओर से संभाग स्तरीय सनराइज ज्ञान केन्द्र सम्मान समारोह हुआ। समारोह ने न सिर्फ तकनीकी शिक्षा की नई दिशा रेखांकित की, बल्कि बीकानेर संभाग के चारों जिलों-हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू और बीकानेर के उन ज्ञान केन्द्रों को सम्मानित किया, जो सीमित संसाधनों में भी अपार संभावनाएं गढ़ रहे हैं। समारोह का मंच बेहद आकर्षक था। पृष्ठभूमि में डिजिटल शिक्षा को समर्पित पोस्टर थे, सामने बैठे विद्यार्थी, संचालक व क्षेत्रीय गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति इसे तकनीकी शिक्षा के महाकुंभ का रूप दे रही थी। बीकानेर जिले के “वेबसोल“ केन्द्र को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ, जिसने अपने क्षेत्र में न केवल बेहतरीन नामांकन किए बल्कि विद्यार्थियों के प्रदर्शन, समयपालन और तकनीकी दक्षता के मामले में उल्लेखनीय कार्य किया। द्वितीय पुरस्कार भादरा के ‘वन्दे मातरम केन्द्र’ को दिया गया, जिसने महिला शिक्षा को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाई। वहीं लूणकरणसर के ‘बिट्स केन्द्र’ को तृतीय पुरस्कार मिला, जिसने आरएससीआईटी और आरएसीएल पाठ्यक्रमों में अपने विद्यार्थियों के परिणामों के दम पर यह उपलब्धि हासिल की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंचायत समिति के पूर्व प्रधान जयदेव भिड़ासरा थे। उन्होंने कहा, ‘यह समय कम्प्यूटर और डिजिटल क्रांति का है। यदि कोई भी छात्र आज सरकारी या निजी क्षेत्र में अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो उसे तकनीकी शिक्षा अपनानी ही होगी। ज्ञान केन्द्रों की यह भूमिका अत्यंत सराहनीय है जो ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में भी डिजिटल शिक्षा का प्रकाश फैला रहे हैं।’
विशिष्ट अतिथि कांग्रेस नेता कृष्ण नेहरा ने कहा, ‘तकनीक का प्रसार केवल शहरी सीमाओं तक नहीं रहना चाहिए। आज का यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि बीकानेर संभाग की धरती पर तकनीकी शिक्षा की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं। कम्प्यूटर सीखना अब विकल्प नहीं, अनिवार्यता है।’
अमरपुरा थेहड़ी ग्राम पंचायत के प्रशासक रोहित स्वामी ने कहा, ‘यदि हम चाहते हैं कि राजस्थान का युवा देश की तकनीकी दौड़ में आगे रहे, तो हमें कम्प्यूटर साक्षरता को शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बनाना होगा। सनराइज जैसे संस्थान इस दिशा में क्रांतिकारी भूमिका निभा रहे हैं।’ चंदन मोंगा ने अपनी बात रखते हुए कहा, ‘छोटे कस्बों और गांवों में तकनीकी शिक्षा की पहुंच बढ़ाकर हम नई पीढ़ी को आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बना सकते हैं। आरएससीआईटी जैसे पाठ्यक्रम उन्हें प्रतिस्पर्धी बना रहे हैं।’ दायित्व वर्मा ने कहा, ‘यह मंच सिर्फ पुरस्कार वितरण का नहीं, बल्कि प्रेरणा और संकल्प का है। कम्प्यूटर शिक्षा का प्रसार केवल रोजगार नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन भी लाता है।’ खुशदीप गोस्वामी ने कहा, ‘आज जिन बालिकाओं के हाथों में कल तक कलम भी मुश्किल से आती थी, उनके हाथों में माउस और कीबोर्ड देखकर यह विश्वास होता है कि सही दिशा में काम हो रहा है।’ पंडित जसवीर शर्मा, महेंद्र व्यास, महेंद्र चतुर्वेदी, बंसी खन्ना, विजय अमलानी, विशाल शर्मा, और पुष्पा पारीक ने भी तकनीकी शिक्षा के महत्व, ज्ञान केन्द्रों की मेहनत और ग्रामीण क्षेत्र में इसके प्रभावों पर अपने विचार साझा किए।
पुष्पा पारीक ने विशेष रूप से कहा, ‘महिला शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर शिक्षा की भूमिका अभूतपूर्व है। बेटियों को सशक्त बनाने का सबसे प्रभावी तरीका उन्हें तकनीकी रूप से सशक्त करना है।’
सनराइज इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के निदेशक अश्विनी पारीक ने कहा, ‘बीकानेर संभाग में वर्तमान में 160 ज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं। ये केन्द्र केवल तकनीकी प्रशिक्षण नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की अलख जगा रहे हैं। आज जिन केन्द्रों को सम्मानित किया गया है, उन्होंने नामांकन, महिला भागीदारी, आरएसीएल और आरएससीआईटी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ-साथ अनुशासन और गुणवत्ता की नई मिसालें कायम की हैं।’ उन्होंने यह भी बताया कि राजस्थान नॉलेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के तहत इन केन्द्रों के माध्यम से पूरे प्रदेश में “ज्ञानदान“ का अद्वितीय कार्य हो रहा है। हमारा लक्ष्य सिर्फ कौशल नहीं, बल्कि चेतना का विस्तार है। ग्रामीण भारत के बच्चों में डिजिटल आत्मविश्वास भरना ही हमारा असली पुरस्कार है।
सम्मान प्राप्त करने वाले केन्द्रों के प्रतिनिधियों की आंखों में गर्व और जिम्मेदारी साफ झलक रही थी। वे न केवल सम्मानित हुए, बल्कि मंच से अपने अनुभवों, चुनौतियों और सफलता की कहानियों को साझा कर अन्य संचालकों के लिए भी प्रेरणा बने। कार्यक्रम के अंत में एक लघु डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से ज्ञान केन्द्रों की कार्यप्रणाली, विद्यार्थियों की सफलता की झलक और सामाजिक प्रभाव को दर्शाया गया, जिसे सभी ने सराहा।





