



राजकुमार सोनी. मो. 09460917989
लोकसभा चुनाव 2019 में 303 सीट लाने वाली भाजपा 2024 में महज 240 पर आकर सिमट गई। यह घोर चिंता का विषय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने गत 10 साल के शासनकाल में अनेकों ऐसे काम किए हैं जो पिछले कांग्रेस के 60 साल के शासन में नहीं हो पाए थे और कुछ कार्य तो ऐसे किए जो होना बिल्कुल असंभव सा लगता था। उसके बाद भी बीजेपी स्पष्ट बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाई, तो इसके पीछे कई कारण हैं जिन्हें खोजने, समझने और फिर आत्मचिंतन की जरूरत है। कहते हैं, ‘कुछ तो कमियां रही होंगी, यूं कोई बेवफा नहीं होता।’ आखिर क्या रही कमियां, इन्हीं बिंदुओं को सिलसिलेवार तरीके से समझने का प्रयास करते हैं।
शुरुआत यूपी से। दो-दो बार प्रचण्ड बहुमत से इसी उत्तर प्रदेश के हिंदुओं ने भाजपा को संसद में भेजा! दो दो 2–2 बार योगी आदित्यनाथ को विधानसभा भेजा। दो-दो बार इसी उत्तर प्रदेश के हिंदुओं ने मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाया। जब सपा से सम्बंधित लोगों ने सपा, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को ऊखाड़ फेंका और मोदी जी को सर आंखों में बैठाया, योगी जी को भी गले लगाया। बसपा से सम्बंधित लोगों ने मायावती को छोडकर मोदी पर भरोसा जताया। वहीं, भाजपा के मूल वोटरो को क्या मिला ? आरक्षण, सुविधा, तवज्जो और न ही कोई खास योजना। मतलब भाजपा का मूल वोटर भाजपा का झंडा ढोए, भाजपा के लिए लाठी खाएं, भाजपा के लिए जेल जाएं और भाजपा के लिए दुश्मनी मोल ले? जाहिर है, आज उत्तर प्रदेश के इन्हीं वर्गों के हिन्दुओं ने भाजपा को वोट नहीं दिया। क्यों ?

इसलिए कि भाजपा के राजनेता अपनी मनमानी करे तो रास लीला। जनता जनार्दन अपना विकल्प खोजे तो कैरेक्टर ढीला? भाजपा के राजनेता मूल कार्यकर्ताओ की उपेक्षा करे, तो रास लीला और कार्यकर्ता उनको उनकी औकात दिखा दे तो कैरेक्टर ढीला ? भाजपा का शीर्ष नेतृत्व आयातित और भगौडों को सर आखों पे बैठाए, उनको टिकट दे। उनको मंत्री बनाए तो रास लीला। जनता जनार्दन अपना विकल्प चुने तो कैरेक्टर ढीला ? आपने लाल किले की प्राचीर से गौरक्षकों को निशाने पर लिया। लिया कि नहीं ? इसकी क्या जरूरत थी ? और यदि इसे आप कोर्ट का निर्णय मानते हैं। तो फिर अन्य निर्णयों में भी श्रेय कोर्ट को ही दीजिए। 300 से ज्यादा कारसेवकों के हत्यारे मुलायम सिंह को ‘पद्म विभूषण’ दिया। आखिर इसकी क्या जरूरत थी ? क्या आडवाणी जी गलत थे ? कल्याण सिंह जी गलत थे ? उमाभारती जी गलत थी ? सभी कारसेवक गलत थे ? सभी भाजपाई और उनका उद्देश्य गलत था ? यह मत भूलिए, उन कार सेवको की निर्मम हत्या या बलिदान की वजह से ही भाजपा आज सत्ता में है। क्या किसी कारसेवक को भाजपा ने सम्मानित किया ? उनके आश्रितो को कोई सहयोग राशि आपने देने की कोशिश की ?

अब बात राजस्थान की।
8 करोड़ राजस्थानियों के दिलों पर राज करने वाली राजस्थान की लोकप्रिय और प्रदेश भाजपा का बहुत बड़ा चेहरा वसुंधरा राजे जी को बिना कुसूर साइड लाइन करना, प्रदेश की जनता को हजम नहीं हुआ और प्रदेश की जनता शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले से बहुत नाराज दिखी और नाराजगी का परिणाम राजस्थान लोकसभा चुनाव के नतीजे भी बता रहे हैं। दूसरा कुछ क्षेत्रीय और बड़बोले नेताओं कि गलत फीडबैक और गुमराह कर टिकट वितरण करवाना भाजपा को भारी पड़ा जिसके चलते 25 में से 11 सीट उड़ गई।
अब सुन लो, उड़ीसा की।
उडीसा में भाजपा की पहली बार सरकार बन गई। लेकिन उडीसा मे जिस दारासिंह के बलिदान से भाजपा सत्ता मे आई है। आज उसी उडीसा मे अपना सर्वस्व बलिदान कर चुके दारासिंह जी आज भी जेल मे है। भाजपा ने कभी दारा सिह के बारे मे जानने की कोशिश की। क्यों नहीं की ? हिन्दू जनता ने मोदी को तरजीह दी थी गोधरा कांड पर, हिन्दुओ का खुला पक्ष लेने पर। हिन्दुओ ने ‘सबका साथ सबका विकास’ के लिए मोदी जी को वोट नही दिया था।

मुस्लिमों को सबसे ज्यादा किसने दी ?
सरकारी योजनाओं को मुस्लिमों को सबसे ज्यादा लाभ किसने दिया ? यूपीएससी के पाठ्यविवरण (सिलेबस) में इस्लामिक स्टडीज नाम के विषय की वजह से मुस्लिम आईएएस और आईपीएस बहुतायत संख्या में चयनित हो रहे हैं। यह कड़वा सच है कि पुलिस भर्ती एवं अन्य भर्तीयों में हुई लापरवाही से इस बार के चुनाव में सर्व समाज के अधिकांश युवाओ ने सपा/कांग्रेस या विपक्षी पार्टियों को ही वोट दिया।
आपके शासन काल में अधिकारी एवं कर्मचारी बेलगाम हैं। वो जनता की नहीं सुनते हैं। निचले स्तर पर भ्रष्टाचार चरम पर है। जनता का छोटे से छोटा काम बिना घूस दिये नहीं होता है। इस मामले में आपकी सरकार और विपक्ष की सरकार में कोई अंतर नहीं है। जैसे कांग्रेस और अन्य पार्टियों की सरकारों के मंत्रियों ने अपने समय में मोटा कमाया। वही काम आज बीजेपी के मंत्री और नेता कर रहे हैं। जनता सब देख रही है।

बीजेपी ने निजीकरण करते समय उस संस्थान के कर्मचारियों एवं उसके परिवार के भविष्य के बारे में भी नहीं सोचा। सरकार जनता की नब्ज को एवं बेरोजगारी को ध्यान में रखते हुए, सुयोग्य युवाओ के लिए सीमित ही सही लेकिन प्रत्येक 6 -6 महीने के अन्तराल मे नियमित भर्तियां निकालें। भर्तियां पारदर्शी तरीके से हो और एक वर्ष के भीतर नियुक्तियाँ दे। जो सरकारी कर्मचारी ताउम्र अपनी सेवा देता है। उससे उसकी बुढ़ापे की लाठी छीन ली, जिसको पेंशन कहते हैं। आप पेंशन कम कर दीजिये। लेकिन छीनिए तो नहीं। कुछ तो दीजिए। मंत्री और नेता स्वयं पुरानी पेंशन ले रहे हैं और कर्मचारी को नई पेंशन वो भी जबरदस्ती। अगर नई पेंशन इतनी अच्छी हैं तो नेता और मंत्री स्वयं क्यों नहीं लेते हैं ?
भ्रष्ट…..हिन्दू विरोधी नेताओं, विधायकों और सांसदों और भगोडे नेताओ को भाजपा में लाया गया। उनको टिकट दिया गया। भाजपा कैडर के तपस्वी, समर्पित पदाधिकारियो को साईड कर दिया गया। वो बेचारे आज भी दरी बिछाने में लगे हुए हैं। उनकी उपेक्षा की जा रही है। है कि नहीं ? चुनाव के जब दो चरण बाकी थे। तब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कह दिया कि भाजपा अब सक्षम है अकेले चुनाव लड़ने में। अब भाजपा को आरएसएस की जरूरत नहीं। आरएसएस ही माई बाप और आरएसएस की ही उपेक्षा ? भाजपा के जो कार्यकर्ता अपना सर्वस्व जीवन भाजपा मे खपा चुके हैं, क्या उनकी ओर भाजपा की सरकार ने कभी ध्यान दिया ? एक -2 उदाहरण को छोड़कर टिकट मे जमीनी समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई। क्यों ?
इतना घमंड क्यों ? इतना गूरूर क्यों ? इतना मगरूरपन क्यों?
भाजपा नेतृत्व ने नारा दिया ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का और बीजेपी को बना दिया ‘कांग्रेसयुक्त’। कमाल है। जो नेता सनातन विरोधी थे। हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान विरोधी थे। जो जो राम, कृष्ण, रामायण व तुलसीदास पर ऊंटपटाग प्रहार करते रहे। सनातन को निशाने पर लेते रहे। लेकिन भाजपा का शीर्ष नेतृत्व धृतराष्ट्र बना रहा। ऐसे नेताओं को साथ लेकर उन्हें प्रमोट कर रहा। आखिर क्यों ?
अति गंभीर विषय।
क्षमा चाहता हूँ? लेकिन ऐसा लगता है कि कहीं 10 साल की सत्ता से आप अहंकार में इतने मदमस्त हो गये थे कि आपने ‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे’ नारा देकर राम को लाने का दंभ पाल लिया। अच्छा होता, आप इसका खंडन करते। याद रहे, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की मर्जी से पत्ता नहीं हिलता, भला आप और हम उनको लाने का भ्रम कैसे पाल सकते हैं ? बेशक, शीर्ष नेतृत्व के इस अहंकार का दमन जनता जनार्दन ने किया। अगर आपको लगता है, आपके बिना हिन्दू क्या करेगा तो ऐसा सोचना बंद कीजिये। क्योंकि हिन्दू है तो आप हैं, आपके कारण हिन्दू नहीं है। हिन्दुओं का सर्वाेच्च देव ईश्वर है। ईश्वर के बाद वेद हैं। वेद के बाद ………………… हैं।
हैरानी की बात है, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व शंकराचार्य जी को हमेशा उपेक्षित करता रहा और अपनी फजीहत कराता रहा। आखिर इसकी क्या जरूरत थी। जबकि तुरंत उनसे मिलना चाहिये था। इसके विपरीत आप पसमांदई मुसलिमों और सऊदी अरब के शेखों से गले मिलते रहे। यह आपका कैसा हिंदुत्व है ? प्रबुद्ध जनता ने इसे नोटिस किया।
जनता अंधी है क्या?
भाजपा को बहुमत से अल्पमत मे लाना। असहाय विपक्ष को मजबूत करना। यह जनता जनार्दन का भौंह रूप है। अभी जनता जनार्दन की तीसरी आंख खुलना बाकी है। जनता जनार्दन ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को झटका तो दिया है लेकिन सपा, बसपा और कांग्रेस को उठने नही दिया। हां, कांग्रेस को मजबूती जरूर मिली है। जनता द्वारा पर्याप्त बहुमत न देना। इस देश की जनता जनार्दन का ये पहला दंड है, अल्पमत सरकार। दूसरा दंडा होगा सत्ता से बाहर करना जो कि अति दुःखद भी होगा। क्योंकि विपक्ष पूरी तरह से नकारा है। इसलिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व जनता जनार्दन का आदेश शिरोधार्य करे। जनता जनार्दन का निर्णय स्वीकार करे। नुक्ताचीनी न करे। अगर आप हिन्दुत्व बचाना चाहते है। तो जनता आज भी आपके साथ है। जनता ने आपकी कुछ सीटें छीनी है। ना कि आपसे गद्दी। इसलिये आप शास्त्र सम्मत कार्य करे। अन्य संतों की तरह ही शंकराचार्याे का भी आदर करे। शंकराचार्याे से मंत्रणा करे। शंकराचार्याे का मार्गदशन लें। शंकराचार्य, वेद, पुराण, उपनिषद में निष्णान्त हैं। शंकराचार्य ही सनातन धर्म की धुरी और व्याख्याता हैं। वेद,शास्त्र और शंकराचार्य। शंकराचार्यों और संतों से क्षमा याचना करें। ईश्वर से क्षमा मांगे और अपनी वाजिब कमियों का मूल्यांकन एवं अवलोकन करें।
एक बात और भगवान राम जब जब कोई नया काम करते थे या जब-जब कोई नया निर्णय लेते थे। तब-तब वे सबकी सलाह लेते थे। सुग्रीव, जामवंत, हनुमान, अंगद और नल नील की भी। लेकिन भाजपा ने अपने जमीनी कार्यकर्ताओ की अनदेखी की और जमीनी समर्पित पदाधिकारियो की कभी न सुनी। आज भी नहीं सुन रही। यदि कार्यकर्ताओं ने कभी अपनी संगठन की पीडा रखनी भी चाही तो उन्हें डांट के बैठा दिया गया या उन्हे मीटिंग रूम से बाहर कर दिया गया। पूर्णतया अनुचित और अव्यवहारिक।
भाजपा अपनी एक कमी दूर कर ले। कांग्रेस सरकार मे अपने छोटे से छोटे कार्यकताओं तक की सुनी जाती है। बसपा सरकार मे बसपा कार्यकर्ताओ की सुनी जाती है। कांगेस हो या राजद या कोई और सबकी सरकार मे उनके पार्टियों और कार्यकर्ताओ की सुनी जाती है। सबके पास अधिकार होते हैं। लेकिन भाजपा सरकार में भाजपा पदाधिकारियों, भाजपा कार्यकर्ताओं की एक नहीं सुनी जाती है। आज भी नही सुनी जाती। उनको आदर्शवाद की घुट्टी पिला दी जाती हैं। अब अटल, आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती, सुदरलाल पटवा की भाजपा नहीं रही। सारा अधिकार सारा निर्णय मोदी और अमित शाह के पास सुरक्षित। भाजपा के मोदी, शाह और योगी केवल प्रचार करें तो ज्यादा लाभ होगा या मोदी, शाह और योगी के साथ साथ भाजपा के सभी सांसद और सभी विधायक सभी 1-1 पदाधिकारी और सभी 1-1 कार्यकर्ता प्रचार करेंगे। तो भाजपा को ज्यादा लाभ होगा ? ये भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को सोचना है !
इसलिए अभी भी समय है। चेत जाए भाजपा। चेत जाए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व। चेत जाए भाजपा का जिम्मेदार नेतृत्व। बाद में पछताने से या कहने से कुछ नहीं होगा। इससे राष्ट्र का नुकसान ही होगा। अतः आप अपना आत्म मूल्यांकन कीजिये। और अपनी कमियों में सुधार लाते हुए जनता की भावनाओं एवं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकास कार्य कीजिये। ये जनता वर्षों तक आपको विराजमान रखेगी और आपने जो भी अच्छे राष्ट्र हित एवं जनता के हित में काम किये हैं। उसके लिये ये जनता आपका हार्दिक आभार प्रकट करती है।
-लेखक 44 साल से भाजपा के प्रति निष्ठावान हैं और पार्टी ओबीसी मोर्चा श्रीगंगानगर के जिलाध्यक्ष रहे हैं

