




डॉ. एमपी शर्मा.
हमारा लीवर शरीर की सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथियों में से एक है, जो पाचन, ऊर्जा संग्रहण और विषैले तत्वों के निष्कासन जैसे अनेक कार्यों में संलग्न रहता है। परंतु जब हमारी जीवनशैली असंतुलित हो जाती है, अत्यधिक तैलीय भोजन, व्यायाम की कमी, शराब का सेवन या मधुमेह जैसे रोगों के कारण, तब लीवर में वसा जमा होने लगती है, जिसे फैटी लिवर कहा जाता है। यह समस्या प्रारंभ में बिना किसी लक्षण के चुपचाप विकसित होती है, लेकिन समय के साथ यह गंभीर रूप ले सकती है, यहां तक कि लीवर सिरोसिस या कैंसर का कारण भी बन सकती है। इस लेख में हम जानेंगे फैटी लिवर के कारण, लक्षण, निदान और सबसे अहम, बचाव के उपाय, ताकि आप समय रहते इस छुपे खतरे से सतर्क हो सकें।
फैटी लिवर क्या है?
फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें लीवर (यकृत) की कोशिकाओं में सामान्य से अधिक वसा जमा हो जाती है। यदि यह वसा 5 फीसद से अधिक हो जाए, तो इसे फैटी लिवर डिजीज कहा जाता है। यह बीमारी दो प्रकार की होती है। एक तो शराब का सेवन न करने वालों में और दूसरी, अत्यधिक शराब पीने वालों में। यह बीमारी आमतौर पर निम्न कारणों से होती है, जब हम अत्यधिक तैलीय व जंक फूड का सेवन करते हैं। इससे मोटापा और पेट की चर्बी, शारीरिक गतिविधि की कमी, मधुमेह (डायबिटीज़), अत्यधिक शराब का सेवन, कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स का बढ़ा हुआ स्तर आदि प्रमुख हैं। वहीं, कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव इसके कारक होते हैं।
क्या तकलीफ़ होती है?
प्रारंभिक अवस्था में यह बीमारी बिना किसी लक्षण के हो सकती है। परंतु समय के साथ निम्न लक्षण दिख सकते हैं, थकान और कमजोरी, पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में भारीपन या हल्का दर्द, भूख कम लगना, वजन में कमी, पीलिया (गंभीर स्थिति में) आदि।
ग्रेडिंग (स्तर निर्धारण)
फैटी लिवर को ग्रेड 1 से ग्रेड 3 तक वर्गीकृत किया जाता है।
ग्रेड 1 (माइल्ड): वसा की थोड़ी मात्रा, अक्सर कोई लक्षण नहीं।
ग्रेड 2 (मॉडरेट): लीवर में अधिक वसा, कुछ लक्षण दिख सकते हैं।
ग्रेड 3 (सीवियर): भारी वसा जमाव, सूजन व फाइब्रोसिस की संभावना।
यदि समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह लिवर सिरोसिस या लीवर कैंसर में भी बदल सकता है।
निदान कैसे होता है?
अल्ट्रासाउंड: सबसे सरल व आम तरीका
लिवर फंक्शन टेस्ट: लीवर की कार्यक्षमता देखने हेतु
फाइब्रोस्कैन: लीवर की कठोरता जांचने के लिए
एमआरआई या सीटी स्कैन: विशेष मामलों में
बायोप्सी: अंतिम व सटीक निदान हेतु
उपचार क्या है?
फैटी लिवर का इलाज मुख्यतः जीवनशैली में बदलाव से होता है।
वजन कम करें: 7-10 फीसद वजन घटाने से फैटी लिवर में सुधार होता है।
नियमित व्यायाम: रोज़ कम से कम 30 मिनट टहलना या एक्सरसाइज़।
संतुलित आहार: कम वसा, अधिक फाइबर युक्त भोजन लें।
शराब बंद करें: यदि कारण शराब है तो तुरंत छोड़ना जरूरी है।
डायबिटीज़ व कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण रखें। कुछ विशेष दवाएं डॉक्टर की सलाह पर ली जा सकती हैं। फैटी लिवर धीरे-धीरे बढ़ने वाली लेकिन गंभीर बीमारी है। समय पर पहचान और जीवनशैली में बदलाव से इसे रोका और ठीक किया जा सकता है। नियमित हेल्थ चेकअप कराएं, विशेष रूप से यदि आप मोटे हैं, डायबिटिक हैं या उच्च कोलेस्ट्रॉल से ग्रस्त हैं। स्वस्थ लिवर, स्वस्थ जीवन।
-लेखक जाने-माने सर्जन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं




