महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन

डॉ. एमपी शर्मा.
मूत्र मार्ग संक्रमण यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन एक बहुत ही आम बीमारी है, जो महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कई गुना ज्यादा पाई जाती है। यह संक्रमण हमारे शरीर के उस हिस्से को प्रभावित करता है, जिससे मूत्र बनता और शरीर से बाहर निकलता है। इसमें मूत्रमार्ग, मूत्राशय, मूत्रवाहिनी और गुर्दे शामिल होते हैं। अगर इस संक्रमण का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह धीरे-धीरे गुर्दों तक पहुंचकर बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।
यूटीआई होने के मुख्य कारण
बैक्टीरिया का संक्रमण, ज्यादातर मामलों में एक खास बैक्टीरिया ई. कोलाई) इसका कारण होता है, जो गंदगी के जरिए मलद्वार से मूत्रमार्ग तक पहुंच जाता है। गलत तरीके से सफाई (जैसे पीछे से आगे पोंछना), गंदे शौचालय का इस्तेमाल, या सैनिटेशन का ध्यान न रखना इस संक्रमण की संभावना को बढ़ा देता है। शरीर में पानी की कमी से मूत्र कम बनता है और बैक्टीरिया बाहर नहीं निकल पाते, जिससे संक्रमण हो सकता है। बार-बार पेशाब रोकना बैक्टीरिया को पनपने का मौका देता है। गर्भावस्था के दौरान हार्माेन में बदलाव और बढ़ते गर्भाशय के दबाव से यूटीआई का खतरा बढ़ जाता है। मधुमेह से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे संक्रमण जल्दी होता है। यौन संबंधों के दौरान बैक्टीरिया मूत्र मार्ग में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे संक्रमण हो सकता है।


महिलाएं क्यों ज्यादा प्रभावित होती हैं?
महिलाओं में यह संक्रमण 4 से 8 गुना ज्यादा होता है। इसका कारण है कि महिलाओं की मूत्र नली पुरुषों की तुलना में छोटी होती है और मलद्वार के ज्यादा करीब होती है, जिससे बैक्टीरिया को संक्रमण फैलाने में आसानी होती है।
यूटीआई के लक्षण क्या होते हैं?
बार-बार पेशाब लगना, पेशाब करते समय जलन या दर्द होना, पेशाब से बदबू आना, पेशाब का रंग गहरा होना या खून आना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, कभी-कभी बुखार आना (अगर संक्रमण गुर्दे तक पहुंच गया हो), थकान या कमजोरी महसूस होना।
कैसे पता चले कि यूटीआई है? (जांचें)
यूरीन टेस्ट:
सामान्य पेशाब जांच से संक्रमण के संकेत मिलते हैं।
यूरीन कल्चर: इससे पता चलता है कि कौन-सा बैक्टीरिया संक्रमण फैला रहा है और कौन-सी एंटीबायोटिक असरदार होगी।
ब्लड टेस्ट: अगर बुखार या गुर्दों तक संक्रमण पहुंचने की आशंका हो तो खून की जांच जरूरी है।
अल्ट्रासाउंड: बार-बार यूटीआई होने पर डॉक्टर अतिरिक्त जांच जैसे अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दे सकते हैं।
इलाज कैसे होता है?
एंटीबायोटिक्स:
डॉक्टर जो दवा दें, उसे पूरा कोर्स करें। दवा अधूरी छोड़ना खतरा बढ़ा सकता है।
पानी ज्यादा पिएं: दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं ताकि संक्रमण मूत्र के साथ बाहर निकल सके।
दर्द निवारक दवाएं: जलन या दर्द से राहत के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं भी दे सकते हैं।
गंभीर स्थिति में अस्पताल में इलाज: अगर संक्रमण गुर्दों तक पहुंच गया हो, तो कुछ दिन अस्पताल में रहकर इलाज लेना पड़ सकता है।
बचाव कैसे करें?
रोजाना भरपूर पानी पिएं, पेशाब रोकने की आदत न डालें, यौन संबंधों के बाद पेशाब करें, शौच के बाद पीछे से आगे नहीं, बल्कि आगे से पीछे की ओर सफाई करें, टॉयलेट की स्वच्छता बनाए रखें, तंग अंडरवियर से बचें, सूती कपड़े पहनें, बार-बार यूटीआई हो रहा हो तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
महिलाओं के लिए विशेष सुझाव
मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई का खास ख्याल रखें
गर्भवती महिलाएं नियमित जांच करवाएं
मधुमेह पीड़ित महिलाएं अपने शुगर लेवल को नियंत्रित रखें
अंत में, यूटीआई भले ही आम बीमारी है, लेकिन इसे हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। यदि सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह संक्रमण गुर्दों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम साफ-सफाई, पानी की पर्याप्त मात्रा और सही आदतों को अपनाएं। अगर कभी पेशाब में जलन हो, बार-बार पेशाब लगे या किसी तरह की गंध आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इलाज में देरी न करें, यही सेहतमंद जीवन की कुंजी है। याद रखें, समस्या जितनी जल्दी पहचानी जाए, इलाज उतना ही आसान होता है।
-लेखक सुविख्यात सीनियर सर्जन और आईएमए राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं

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