ग्राम सेतु न्यूज. हनुमानगढ़.
किसानों ने एकजुटता की ताकत दिखाई तो प्रशासनिक अमले को भी झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा। सिंचाई विभाग ने भाखड़ा नहर प्रणाली में 1200 क्यूसेक पानी देने की मांग का सैद्धांतिक समर्थन किया और उपलब्धता के आधार पर उसी मात्रा में पानी छोड़ने का भी भरोसा दिलाया। इस तरह किसान एकजुटता का जश्न मनाते हुए घरों की ओर लौट गए। आज सुबह से सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर कार्यालय के सामने किसानों की भीड़ लग गई। किसानों का कहना था कि समझौते के अनुरूप पानी नहीं मिलने नरमा-कपास की बिजाई पर संकट है। ऐसे में किसानों के सामने जीवन-मरण का सवाल है।
इस बीच, चीफ इंजीनियर अमरजीत मेहरड़ा के साथ किसानों की कई दौर में वार्ता हुई। चीफ इंजीनियर इस दौरान पंजाब के सीनियर अधिकारियों के संपर्क में रहे और बात करते रहे। किसान नेता संतवीर मोहनपुरा ने कहाकि अधिकारियों ने माना कि निर्धारित समय में पानी देने में देरी हुई। उन्होंने पांच मई तक भाखड़ा नहरों में पानी देने का भरोसा दिलाया।
जीकेएस टीम के भाखड़ा क्षेत्र के ब्लॉक अध्यक्ष गगनदीप सिद्धू पीलीबंगा, रेशम सिंह माणुका, डॉ.
सौरभ राठौड़, चरणप्रीत बराड़, गोपाल बिश्नोई, रोशन सिंह गोलूवाला, रणदीप सिंह भंगू सूरतगढ़, रोजपाल सिंह सादुलशहर, निशान सिंह, पृथ्वी सिंह और प्रोजेक्ट चेयरमैन हरविंदर गिल गंग कैनाल, मनप्रीत सरां चेयरमैन भाखड़ा, राजा हेयर, ग्लाक्सी बराड, हरजिंदर मान, सरपंच रमनदीप कौर, रामकुमार सहारण, धनदेव सिंह, प्रदीप सींवर, जयदेव सहारण, संदीप सिंह बीकेयू, गुरजंट सिंह, गुरप्यार सिंह, जालंधर सिंह, बोहड़ सिंह ,बाबू सिंह मोरजंड, राय सिंह बांसुरीवाला, अवतार बराड, परगट सिंह, यूनिस नागरा, अपारजोत बराड़, कुलदीप चहल आदि ने विचार व्यक्त किए। किसानों के लिए 13 गांवों के प्रतिनिधियों ने लंगर लगाया जो सारा दिन अटूट चलता रहा। किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर निर्धारित समय पर पानी नहीं आया तो वे फिर अनिश्चितकालीन पड़ाव डालने के लिए मजबूर होंगे।