





ग्राम सेतु साहित्य डेस्क.
राजस्थान साहित्य परिषद् के तत्वावधान में वरिष्ठ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा की राजस्थानी बाल साहित्य आलोचना की पुस्तक ‘बाळपणै री बगीची’ का लोकार्पण टाबर टोल़ी हाउस में हुआ। बिहार राज्य के मुंगेर जिले के शहर जमालपुर से पहुंचे वरिष्ठ आलोचक साहित्यकार डॉ.नीरज दइया मुख्य अतिथि रहे जबकि राजस्थानी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार रामस्वरूप किसान ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
वरिष्ठ आलोचक डॉ. नीरज दइया ने बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा को बधाई देते हुए कहा कि राजस्थानी आलोचना की किताबें बहुत कम छपी हैं, जिनमें बाल साहित्य को लेकर आलोचना की पुस्तक के रूप में दीनदयाल शर्मा की ‘बाळपणै री बगीची’ पहली पुस्तक है। दइया ने कहा कि एक ऐतिहासिक कार्य जब भी होता है तो उसमें नींव का पत्थर रखा जाता है। राजस्थानी बाल साहित्य आलोचना बाबत ‘बाळपणै री बगीची’ नींव का पत्थर है। राजस्थानी के सुप्रसिद्ध कथाकार एवं कवि रामस्वरूप किसान ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आलोचना का काम बहुत बड़ी जिम्मेदारी का काम है। किसी भी रचनाकार की रचना के प्रति आलोच्य दृष्टि होना हरेक रचनाकार के बूते की बात नहीं है। साहित्य की किसी भी विधा की रचना में आलोचना की पुस्तक का महत्त्व सर्वाधिक और ऐतिहासिक कार्य है। आलोचक लेखन में मानदण्ड तय करता है, इन मूल्यों और पैमानों के भीतर जो रचना आएगी, वही उत्कृष्ट रचना होती है। यह बहुत ही जोखिम भरा काम है। आलोचना में आलोचक साहित्य की किसी रचना के मर्म को प्रकट करता है। उन्होंने कहा कि आलोचना की कमी हर भाषा के साहित्य में महसूस की गई है और राजस्थानी बाल साहित्य आलोचना की बात करें तो इस विधा में केवल यही पुस्तक देखने को मिली है। इस पुस्तक का सृजन बाल साहित्यकार के लिए बहुत बड़ा कदम है। किसान ने कहा कि बाल साहित्य सृजन बहुत जरूरी है चूंकि बाल साहित्य सृजन तो बाल साहित्य का बीज रूप है। उन्होंने कहा कि अनेक बड़े-बड़े रचनाकारों ने बाल मनोविज्ञान को ध्यान में रखते हुए बाल साहित्य का सृजन किया है। बाल साहित्य सृजन के दौरान हमें बच्चों के लिए रचना इतनी गूढ़ भी नहीं रचनी चाहिए और इतनी सतही भी न हो कि बच्चा उससे मुंह ही मोड़ ले। हम बच्चों को जानेंगे, समझेंगे तभी हम बच्चों के लिए उत्कृष्ट रचना का सृजन कर सकेंगे।
सुप्रसिद्ध राजस्थानी कथाकार डॉ.सत्यनारायण सोनी, राजस्थानी अनुवादक और नाटककार मनोज स्वामी, वरिष्ठ पत्रकार गोपाल झा, सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट मस्तान सिंह, राजस्थन साहित्य परिषद् के सचिव एवं राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल राजेन्द्र डाल, युवा कवि राजू गोस्वमी, श्रीगंगानगर, और हिन्दी-राजस्थानी के युवा कवि दुष्यन्त जोशी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में पधारे अतिथिगण डॉ.नीरज दइया और रामस्वरूप किसान को परिषद् का स्मृति चिन्ह देकर एवं शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर कार्यक्रम में पधारे सभी संभागियों को उपहार स्वरूप पुस्तकों के सेट भेंट किए। कार्यक्रम का सफल मंच संचालन वरिष्ठ शायर और आकाशवणी के वरिष्ठ उद्घोषक राजेश चड्ढ़ा ने किया। कार्यक्रम के अंत में बाल साहित्यकार एवं राजस्थान साहित्य परिषद् के अध्यक्ष दीनदयाल शर्मा ने सभी संभागियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के शुभारम्भ में अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पित की।

