ग्राम पंचायत कोहला का बैंक खाता कुर्क, जानिए… क्यों ?

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ग्राम सेतु ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिला मुुख्यालय पर सिविल न्यायाधीश़ ने एक मामले में कोहला ग्राम पंचायत का बैंक खाता कुर्क कर दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी ने बताया कि 26 सितंबर 2016 को गांव कोहला में एक दर्दनाक हादसा हुआ। इसमें अश्विनी कुमार पुत्र चिमनलाल की एक निराश्रित गोधे से टकराने के कारण मृत्यु हो गई। अश्विनी कुमार अपनी मोटरसाइकिल से कहीं जा रहे थे कि अचानक रास्ते में एक निराश्रित गधा सामने आ गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि अश्विनी कुमार को गंभीर चोटें आईं और मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई। मृतक अश्विनी कुमार के परिजनों ने स्थायी लोक अदालत, हनुमानगढ़ में मुआवजे के लिए प्रार्थना पत्र दायर किया। इस मामले की सुनवाई के बाद लोक अदालत ने दिनांक 17 दिसंबर 2018 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राजस्थान सरकार, ग्राम पंचायत कोहला और पंचायत समिति, हनुमानगढ़ को संयुक्त रूप से मृतक के परिजनों को पांच लाख रुपये मुआवजा और उस पर सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का आदेश दिया।
लोक अदालत के इस फैसले के खिलाफ राजस्थान सरकार और ग्राम पंचायत कोहला ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। परंतु उच्च न्यायालय ने भी इस अपील को खारिज कर दिया। इतना ही नहीं, खंडपीठ में भी सरकार ने इस फैसले को चुनौती दी, लेकिन वहां भी कोई राहत नहीं मिली और लोक अदालत का आदेश बरकरार रहा। लोक अदालत के आदेश का पालन न करने पर सिविल न्यायाधीश, हनुमानगढ़ ने सख्त कदम उठाते हुए ग्राम पंचायत कोहला का बैंक खाता कुर्क कर दिया है। यह कदम मृतक के परिजनों को न्याय दिलाने की दिशा में एक अहम मील का पत्थर साबित हुआ।


समाज के लिए चेतावनी बनी यह घटना
वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी ने बताया कि इस फैसले ने एक बार फिर निराश्रित पशुओं की समस्या को उजागर किया है, जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। अदालत ने अपने निर्णय में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘यह बेहद दुखद है कि स्थायी लोक अदालत की पूर्व चेतावनी के बावजूद संबंधित अधिकारियों ने इस गंभीर समस्या के निराकरण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए, जिसके परिणामस्वरूप यह दुर्घटना घटी।’ आम रास्तों और सड़कों पर निराश्रित पशुओं का विचरण केवल यातायात में बाधा ही नहीं डालता, बल्कि लोगों की जानमाल की सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा बन गया है। यह घटना इस बात का जीवंत उदाहरण है कि किस तरह प्रशासन की लापरवाही और आवारा पशुओं की अनदेखी से निर्दाेष लोगों की जान पर बन आती है।

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