खुशहाली का मंत्र: मकसद बदलो, जिंदगी नहीं!

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उच्च पद, अच्छा वेतन, और समाज में मान-सम्मान मिलने के बावजूद व्यक्ति भीतर से खालीपन महसूस करता है। यह खालीपन अक्सर दूसरों से अत्यधिक अपेक्षाएं, असफलताओं का डर, और खुद को साबित करने की असीमित होड़ से उपजता है। जीवन की इस अंधी दौड़ में हम यह भूल जाते हैं कि ‘जीवन जीने के लिए है, ना कि खुद को जलाकर दूसरों से आगे निकलने के लिए।’ यह आलेख इसी गूढ़ सच्चाई को उजागर करता है कि उद्देश्य जीवन को दिशा देते हैं, लेकिन जब कोई उद्देश्य पूर्ण न हो, तो जीवन समाप्त नहीं हो जाता। नए उद्देश्य तय कर, नए रास्तों पर चलना भी एक साहसिक कदम है, जो न केवल व्यक्ति को खुशी देता है, बल्कि उसे लंबा और संतोषजनक जीवन जीने की प्रेरणा भी देता है।

डॉ. अर्चना गोदारा.
कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है,
पर छुपके इस दिल में तन्हाई पलती है।
ह महज एक प्रसिद्ध गीत की पंक्ति भर नहीं है बल्कि वर्तमान में भागदौड़ भरी जिंदगी को जी रहे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की वास्तविकता भी है। जीवन में दोस्त, परिवार और पैसे होने के बाद भी व्यक्ति स्वयं को इस स्थिति में देखता है। यह स्थिति लक्ष्य और सफलता प्राप्त करने के बाद भी बहुत बार व्यक्ति महसूस करता है और इसी तरह बहुत बार असफलता की स्थिति में भी महसूस करता है। सफलताओं के बाद भी इस प्रकार की तन्हाई को महसूस करने का एक कारण दूसरों से अत्यधिक अपेक्षा करना है। जिसमें अधिकांशतः निराशा ही प्राप्त होती है। अपेक्षाएं और निराशा व्यक्ति के विद्यार्थी जीवन से ही आरंभ हो जाती है। पहले किसी उच्च पद को पाने का दबाव और फिर यदि उस पद को पा लिया तो उसके अनुसार अपने स्तर को बनाना और उस स्तर के अनुसार स्वयं को लोगों के सामने प्रस्तुत करना, ये व्यवहार एक भयानक तनाव को उत्पन्न करता है। दूसरी तरफ यदि उस उच्च पद को प्राप्त नहीं कर सके, तो लंबे समय तक उसको प्राप्त करने का संघर्ष और संघर्ष के पश्चात भी उसे प्राप्त नहीं कर पाना एक भयानक तनाव का कारण बनता है जो व्यक्ति से स्वयं के जीवन को छीनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अधिकांश लोग यह समझ ही नहीं पाते हैं कि जीवन जीने के लिए होता है ना कि दूसरों को देखकर उनकी होड़ में उसे जलाकर खत्म करना होता है। जीवन में उद्देश्यों का होना आवश्यक है, परंतु उद्देश्यों का अपने ऊपर हावी होना बहुत ही दुखदाई पहलू है। बिना उद्देश्य के जीवन निरर्थक है। इसलिए उद्देश्यों का होना आवश्यक है। व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि यदि एक उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पा रहा तो उस उद्देश्य को बदला जा सकता है परंतु उसके पीछे अपने जीवन को नर्क बना कर समाप्त नहीं करना चाहिए।


इसका एक सबसे अच्छा उदाहरण झांसी की रानी लक्ष्मीबाई है जिन्होंने उस समय में जब लड़कियों को समाज में कोई महत्व नहीं दिया जाता था तथा जौहर प्रथा, सती प्रथा और बलपूर्वक विवाह का प्रचलन था। उस समय में लक्ष्मी बाई ने अपने जीवन के उद्देश्यों को निर्धारित किया और उसके अनुसार अपने जीवन को जीना प्रारंभ किया। वे इस समाज के दबाव में नहीं आई और उन्होंने प्रत्येक समस्या का डटकर सामना किया। वे समाज के सामने एक शक्ति के रूप में उभरी और वह बहुत से लोगों के लिए संदर्भ बन गई। इसीलिए आज भी उनका नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। क्योंकि यह जीवन की वास्तविकता है कि जो लड़ता है वही जीता है, जो घबरा जाता है, वह समाप्त हो जाता है।
ऐसे बहुत से उदाहरण है जो व्यक्ति मे जीवन को जीने का ज़ज्बा पैदा करते हैं।
ऐेसा ही एक अन्य उदाहरण है, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम। एक गरीब मछुआरे के बेटे कलाम ने जीवन की विभिन्न कठिनाइयों के बावजूद वैज्ञानिक बनने का सपना देखा। गरीबी के कारण उन्होंने अखबार बेचने का काम किया परंतु हिम्मत नहीं हारी। वे अपनी मेहनत और लगन से भारत के मिसाइल मैन बने। इसके साथ ही वे भारत के 11वें राष्ट्रपति भी बने। वे जीवन भर प्रत्येक स्तर पर युवाओं को प्रेरित करने के लिए समर्पित रहे। उनका कहना था कि ‘सपने वो नहीं जो हम सोते हुए देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने न दें।’ यदि व्यक्ति में ऐसा उत्साह हो तो उसे कभी असफलता का मुहँ नहीं देखना पड़ता।


वर्तमान और इतिहास ऐसे बहुत सारे उदाहरणों से भरा हुआ है। परंतु व्यक्ति इस भाग दौड़ की जिंदगी में केवल सफलता और चमत्कार को ही देखना चाहता है। इसीलिए वह जितनी जल्दी चमत्कार देखना चाहता है, उतनी ही जल्दी वह निराशा की तरफ अग्रसर हो जाता है और उसे असफलताओं का सामना करना पड़ता है। यह असफलता उसे गहरे तनाव और अवसाद मे ले जाती हैं। जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है, इसलिए हमेशा जीवन में उद्देश्यों को बनाकर रखिए और उद्देश्यों के अनुरूप जीवन को जीने का प्रयास कीजिए। यह आवश्यक नहीं है कि सभी उद्देश्य पूर्ण हो जाए। इसलिए उद्देश्यों को बदला भी जा सकता है। जीवन की राहों को दूसरी तरफ भी मोड़ा जा सकता है जहां पर दूसरे उद्देश्य निर्धारित होते हैं। ऐसे उद्देश्य जो व्यक्ति को न केवल खुशी देते हैं बल्कि लंबा जीवन जीने की चाहत भी उत्पन्न करते हैं। उद्देश्य बदलने का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति गलत रास्ते पर चल पड़े सही रास्ते पर चलने के लिए भी बहुत से उद्देश्य होते हैं। यह व्यक्ति की नैतिकता और उसका सब्र निर्धारित करता है कि वह किस रास्ते पर चलेगा?
-लेखिका समसामयिक मसलों पर टिप्पणीकार व राजकीय एनएमपीजी कॉलेज में व्याख्याता हैं

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