दिल की बीमारी रहेगी दूर, जानिए…. कैसे ?

डॉ. पीयूष त्रिवेदी.
दिल का दर्द बढ़ता जा रहा है। हार्ट अटैक से लोग उम्र से पहले परलोक सिधार जाते हैं। ऐसे में दिल को बीमारियों से महफूज रखना जरूरी है। आज हम कुछ ऐसी बात करेंगे जिससे आपको दिल को मजबूत रखने में आसानी होगी। इसके लिए आपको सिर्फ अपने आहार को लेकर सावधानी बरतनी है। मसलन, कम फैट यानी दिनभर में जितना भोजन खाएं उसमें सब मिलकर 20 ग्राम चिकनाई से अधिक न हो और अनाज भी लिमिट में पूरे ब्रॉन वाला चोकर युक्त आटा खाएं। गेहूं के आटे पर हमेशा न डिपेंड रहें। बाजरा, मक्का ज्वार आटा भी खाएं। प्रोटीन लेना जरूरी है, इसमें चना और चने काले का बेसन, चने का सूप, अंडे-मछली खाएं और ओमेगा 3 के कैप्सूल रोजाना एक लें।


शाकाहारी रोज़ पनीर, दूध लो फैट वाला लें, घी, तेल बदल-बदल कर खाएं। अलसी भूनी हुई का सेवन चटनी या लड्डू बनाकर खाएं। सब्जियां सलाद मिस न करें। चीनी लिमिट में खाएं। तले समोसे पकौड़े कचौड़ी इत्यादि 15 दिन में एक बार, बस नमकीन भुजिया वेफर्स चिप्स केवल नाममात्र को लें। बिस्किट बेकरी प्रोडक्ट भी नहीं या बहुत कम कभी कभी 1 पीस बस।
यह तो हुआ खुराक का निपटारा। पर केवल भोजन ही स्वास्थ्य नहीं। पूरी जीवनशैली सरल बनाना आवश्यक है। आज का इंसान खाने से अधिक तो जीवन में बेकार के दिखावे वाले कामों से टेंशन पाल रहा है और मानसिक तनाव जिसे हो, वो कितनी खुराक का ध्यान रख लें ह्रदय रोग से नहीं बच सकता।


अब हार्ट को सशक्त बनाने के लिए जरूरी है उसकी भी एक्सरसाइज हो। वर्ष में 200/240 दिन ऐसी कसरत करें जिससे पसीना बहे। तेजी से पार्क में चलना जिससे ह्रदय गति तेज हो 35 मिनट शरीर के लिए यह आवश्यक देने हैं और सर्दी व जब अनुकूल मौसम हो तो 40/50 मिनट धूप में बैठकर गप्पे मारना, तेल मालिश करने से विटामिन डी लेना श्रेयस्कर है।
अब मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपने मन की इच्छाओं को कंट्रोल करना है। जरूरी नहीं कि मेरे पास कार 25/50 लाख वाली नहीं है। बड़ा बंगलों नही तो मैं हीन भावना से ग्रसित हो दुखी व परेशान रहूं। खुशी रूपयों-साधनों, विलासिता में नहीं। खुशी है आपके दिमाग में। कोई चाहे तो सिंपल जीवन सादे विचार में खुश मस्त रह सकता है। यह सोच सबसे बेहतर है। हर वस्तु आपके पास होगी भी तो यह गारंटी नहीं कि इनसे परिवार में, आप में, संतुष्टि मेलजोल प्रेम भी इन्हीं से आएगा।
धन, साधन साथ में बहुत सी टेंशन भी साथ लाते हैं। हमने ऐसे अरबपति भी देखे हैं। जिनकी संतानें उनके पास छह महीने सालभर मिलने तक नहीं आते। उनके पास समय ही नहीं बात तक करने का। तो इस बेकार के साधनों का लाभ क्या?
और डौक्टर कहता है न नमक खाओ और चीनी मीठा बिल्कुल बंद करो। घी बंद करो तो फिर हमेशा धन जुटाने में व्यस्त रहना किस फायदे के लिए ? धन कमाओ पर हर तरीके से। कपट या 24 घंटे इसी में पागलों वाली अंतहीन धन कमाने की दौड़ आखिर में दिल व दिमाग दोनों को बीमार ही बनाएगी। घुटने काम नहीं करते। चलने में असमर्थता, कपट पूर्ण जीवन सोच होना भी बीमारी मानसिक चिंता, जलन ये सब ह्रदय की बीमारी बढ़ाने वाले कारक हैं।
अभी हमने पढ़ा है कि जापान में पृथ्वी को व स्वयं को बचाने व प्रदूषण से दूर रहने का एक फंडा चला रखा है। कम से कम साधन, कम से कम मशीनरी घर में रखना यानि कम खाना, छोटा घर और एक ही घर। कोई बड़े-बड़े बंगलो नहीं? कम संतान, छोटी से छोटी कार। यह 19-20 लाख की कभी कभार दिखावे के लिए खरीदी 650 सीसी की भड़ भड़ करती मोटरबाइक। जो खुद को मेंटेनेंस की टैंशन, दुर्घटना का डर दें और पड़ोसी इसकी भड़ भड़ करती बेसुरी आवाज से दुखी रहें किस काम की? सिर्फ शोशे बाजी यही क्या सुख शांति देगी नहीं, यही अनाप-शनाप बीपी और बेकार बिजी रखने वाले सामान आपको कंपनियां हर साल नया मॉडल बेच कर अपना उल्लू सीधा कर रही हैं। तो सफल जापानियों ने स्वयं को कम से कम परेशान रखने का फार्मूला बनाया और अपनाया भी है। वो है कम से कम उपयोग उपभोग कर और सुखी रहकर। तभी तो जापान में सबसे अधिक 100 वर्ष तक स्वस्थ जीने वाले व्यक्ति पूरे विश्व से सबसे अधिक हैं।
ईश्वर पर अटूट विश्वास ही आपको मजबूत इरादों वाला हिम्मती बना सकता है। दूसरो की बुजुर्गों की असहाय की सेवा करना, सरल ह्रदयता सें भी रोग पास नहीं आएगा। नम्रता…., किसी फिल्मी हीरोइन का नाम नहीं बल्कि यह नया फंडा है ’’’’बिन लाठी के डंडा है। मसलन, सड़क पर किसी से आपकी स्कूटी, कार हल्के से छू गई, वो कहने लगा ’अबे अंधा है क्या? ’ आप क्या प्रतिक्रिया दें यह आप पर निर्भर है।
ठंडा ठंडा कूल कूल। आप यह भी कह सकते है भाई, अंकल, आंटी, दीदी, बहनजी। आपके आशीर्वाद शब्द में शक्ति कम है कृपया कम से कम 11 बार तो अंधा कहें। शायद आपकी दुआ से 25 का चश्मा लग जाय। सामने वाला बस ठंडा होकर खिसिया जाएगा। यह है कूल कूल न लड़ाई ना अपने अहम् को सड़क पर किसी अनजान मूर्ख से मूल्यांकन करवाना।
तो ऐसे धनवान जीवन से अच्छा, सादा जीवन, संतान सुख और स्वस्थ शरीर यही प्राथमिकता हो तो कभी ह्रदय रोग नहीं होगा। सादा जीवन उच्च विचार यही है सुखी संसार। अच्छा लगा उत्तर तो सोचना क्या एक बटन दबाओ अपवोट करो।
-लेखक राजस्थान विधानसभा में आयुर्वेद चिकित्सा प्रभारी हैं

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