बेबी हैप्पी कॉलेज में संभाग स्तरीय यूथ फेस्टिवल, योगी बालकनाथ ने बताया महत्व, जानिए…. क्या ?

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ग्राम सेतु डेस्क.
विधायक योगी बाबा बालकनाथ ने कहाकि भारतीय संस्कृति हमारी गौरवशाली विरासत है। इसे अक्षुण्ण बनाए रखना हमारा दायित्व है। इसी सोच के साथ भजनलाल सरकार ने युुवा महोत्सव मनाने का निर्णय किया है ताकि युवाओं को लोक कला और संस्कृति से अवगत करवाया जा सके। हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय स्थित बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज परिसर में सोमवार को आयोजित संभाग स्तरीय युवा महोत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि विधायक योगी बालकनाथ ने यह बात कही। उन्होंने कहाकि धर्म और संस्कृति एक दूसरे के पूरक हैं। इसकी रक्षा के लिए महापुरुषों ने बलिदान दिया है। इसलिए हमें इसके महत्व को समझना होगा।


जिला कलक्टर कानाराम ने कहाकि सरकार की मंशा के अनुरूप युवा महोत्सव मनाए जा रहे हैं। बेबी हैप्पी कॉलेज में इसके लिए बेहतरीन व्यवस्था की गई हैं। बीकानेर संभाग के प्रतिभागी उत्साह और मनोयोग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे बाकी युवाओं को भी अपनी संस्कृति और लोकाचार की समझ विकसित होगी। कलक्टर कानाराम ने कहाकि अपनी संस्कृति और लोक कलाओं से जुड़ने का बड़ा फायदा यह होगा कि क्षेत्र में युवाओं को नशे से दिजात दिलाई जा सकेगी। उन्होंने युवाओं को मानस अभियान से जुड़ने का आग्रह करते हुए कहाकि नशे को खत्म करने से ही सभ्य व सुव्यवस्थित समाज की परिकल्पना संभव है।


जिला एवं सत्र न्यायाधीश अमित कड़वासरा ने इस तरह के आयोजनों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहाकि कार्यक्रम में शरीक होकर प्रतिभाओं के प्रदर्शन का साक्षी बनने का मौका मिला। यह संतोष की बात है। उन्होंने कहाकि भारत के पास अनमोल विरासत है, जो धीरे-धीरे बिखराव की तरफ जा रही हैं, उन्हें समेटने और सहेजने की जरूरत है। इस तरह के कार्यक्रमों से ही प्रयास कारगर हो सकता है।
भाजपा नेत्री प्रियंका बैलान ने कहाकि धर्म और संस्कृति की रक्षा करना बेहद जरूरी है। क्योंकि इसी से भारत की पहचान है। उन्होंने नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता प्रकट करते हुए कहाकि इससे भारत की अनमोल थाती पर कुठाराघात होता है। इसलिए हम सबको जड़ों में लौटना होगा।
बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज ग्रुप के डायरेक्टर तरुण विजय ने कहाकि इस गौरवशाली आयोजन की मेजबानी करते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है। लोक कला और संस्कृति को बढ़ावा देना समाज की जरूरत है। सरकार अपने स्तर पर प्रयास करती है लेकिन इसके लिए समाज को आगे आने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि ऐसे वाद्य यंत्र हैं जिन्हें नई पीढ़ी के बच्चे जानते तक नहीं। आज युवाओं ने इनकी प्रस्तुति देकर सबको आकर्षित करने का प्रयास किया है। इसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं। उन्होंने इस आयोजन के लिए संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर और शिक्षा विभाग के अधिकारियों का आभार जताया।
सीडीईओ पन्नालाल कड़ेला ने बतायाकि कार्यक्रम में श्रीगंगानगर, बीकानेर और हनुमानगढ़ के युवाओं ने भाग लिया। राजस्थान की संस्कृति व कला को सुरक्षित करने के लिए युवा महोत्सव का आयोजन सफल रहा है। संभाग स्तर पर विजेता रहने वाले युवा प्रतिभागियों को नगद पुरस्कार, प्रशस्ति पत्र व मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। जिला शिक्षा अधिकारी हंसराज जाजेवाल ने बताया कि संभाग स्तरीय युवा महोत्सव में पांच घटकों में 13 इवेंट हुए। महोत्सव में तीन जिलों के करीब 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। राज्य स्तर से विजेता राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के विजेता जापान में होने वाले अंतरराष्ट्रीय युवा महोत्सव में कला का प्रदर्शन करेंगे।
महोत्सव के जिला कॉर्डिनेटर राहुल व्यास ने बताया कि भारत सरकार के युवा कार्यकम एवं खेल मंत्रालय के निर्देशानुसार राज्य में जिला, संभाग एवं राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं हुईं। जिले में संभाग स्तरीय महोत्सव का आयोजन होना बड़े गौरव की बात है। इस मौके पर शिक्षा विभाग के संयुक्त निदशेक गोविंद नारायण, एडीएम उम्मेदीलाल मीणा, विधायक प्रतिनिधि व पूर्व पालिकाध्यक्ष संतोष बंसल, पार्षद मंजू रणवां, पार्षद अर्चित अग्रवाल, पार्षद प्रतिनिधि मनोज बड़सीवाल, पूर्व पार्षद गौरव जैन, शिक्षाविद् भगवानदास गुप्ता, अनुपमा विजय, रौनक विजय, स्वयंसेवी शिक्षण संस्था संघ के जिलाध्यक्ष सुरेश शर्मा, शिक्षा अधिकारी रणवीर शर्मा, सीमा भल्ला, सुनीता खुंगर, पुरुषोत्तम शर्मा, जगजीत सिंह, मुख्य शिक्षा अधिकारी बीकानेर महेंद्र शर्मा, सहायक निदेशक राजेश जोशी, ललिता कुमावत, जिला परिवहन अधिकारी संजीव चौधरी, नेहरू युवा केंद्र की रीना केसरिया, शिक्षा अधिकारी जितेंद्र बठला आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य पवन कौशिक, अभिमन्यु व मनोज पारीक ने किया।
युवा महोत्सव में 13 प्रतियोगिताएं
युवा महोत्सव में पांच घटकों की 13 प्रतियोगिताएं हुईं। इनमें विज्ञान मेला, सामूहिक लोक नृत्य, सामूहिक लोक गायन, व्यक्तिगत लोक नृत्य, व्यक्तिगत लोक गायन, कविता लेखन, कहानी लेखन, पेंटिंग, हैंडीक्राफ्ट, टेक्सटाइल, कृषि उत्पादन एवं राजस्थान की दुर्लभ कला यथा फड़, रावणहत्था, रम्मत, अलगोजा, मांडणा, कठपुतली, भित्ति चित्र, खड़ताल, मोरचंग, भपंग वाद्य यंत्र वादन में प्रतियोगिताएं शामिल हैं। विजेताओं को सम्मानित किया गया।

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