भजनलाल सरकार को आई डॉ. रामप्रताप की याद, जानिए… क्यों ?

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ग्राम सेतु ब्यूरो.
सिंचाई पानी की समस्या और किसान आंदोलन से जूझ रही भजनलाल सरकार को अचानक पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ. रामप्रताप की याद आ गई। सरकार ने उनके अनुभवों का लाभ उठाने का फैसला किया। अलबत्ता, सरकार ने पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ. रामप्रताप को चंडीगढ़ भेजा ताकि वस्तुस्थिति का पता लगाया जा सके और जल संकट का हल खोजा जा सके। आपको बता दें, डॉ. रामप्रताप को सिंचाई महकमे का एक्सपर्ट माना जाता है। वे सिंचाई मंत्री और इंदिरा गांधी नगर परियोजना बोर्ड के चेयरमैन रह चुके हैं। पंजाब में भी अधिकारियों से उनके संपर्क हैं। ऐसे में राजस्थान सरकार के संपर्कों का फायदा लेना चाहती है। काबिलेगौर है, डॉ. रामप्रताप ने हाल ही में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के मुख्य अभियंता अरुण सिडाना के साथ मुलाकात की और सिंचाई पानी की उपलब्धता को लेकर चर्चा की। यह कदम किसानों के लिए राहत भरा हो सकता है, लेकिन इसके गहरे सियासी मायने भी हैं।
क्या हैं सियासी मायने?
हनुमानगढ़ क्षेत्र में सिंचाई जल की समस्या हमेशा से एक प्रमुख मुद्दा रही है। डॉ. रामप्रताप की इस सक्रियता को उनके राजनीतिक पुनरुद्धार के रूप में भी देखा जा सकता है। यदि वह किसानों की समस्याओं का हल निकालने में सफल होते हैं, तो यह न केवल उनकी व्यक्तिगत राजनीतिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि बीजेपी को भी स्थानीय स्तर पर बड़ा फायदा पहुंचा सकता है। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मामले में सरकार को घेरने का प्रयास कर सकते हैं। विपक्ष इसे एक राजनीतिक स्टंट करार देते हुए यह सवाल उठा सकता है कि जब पानी की समस्या पहले से ही थी, तब सरकार ने इतने दिनों तक चुप्पी क्यों साधे रखी?
हनुमानगढ़ की राजनीति पर प्रभाव
अगर किसानों की समस्या का समाधान निकल जाता है तो बीजेपी में डॉ. रामप्रताप की स्थिति फिर से मजबूत हो सकती है। अगर वे अपने प्रयास में विफल होते हैं विपक्षी दल सरकार पर हमला बोल सकते हैं कि यह महज एक राजनीतिक नाटक है, जिसे आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। यदि डॉ. रामप्रताप को फिर से सक्रिय भूमिका दी जाती है, तो हनुमानगढ़ के अन्य बीजेपी नेताओं के लिए यह चुनौती बन सकती है।
क्या किसानों को पूरा पानी मिल पाएगा?
भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड से हुई चर्चा के बाद किसानों को उम्मीद जगी है कि उनकी सिंचाई संबंधी समस्याओं का हल निकलेगा। यदि सरकार और बोर्ड मिलकर कोई ठोस योजना बनाते हैं, तो जल आपूर्ति में सुधार हो सकता है। पानी वितरण को लेकर नीतिगत बदलाव किए जा सकते हैं, जिससे किसानों को उनके हिस्से का पानी समय पर मिल सके। यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो यह मुद्दा बीजेपी के खिलाफ जा सकता है, और किसानों का गुस्सा बढ़ सकता है। यदि उनकी कोशिशें सफल होती हैं, तो इससे बीजेपी को मजबूती मिलेगी, लेकिन अगर नतीजे अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे, तो यह उनकी राजनीतिक छवि को और कमजोर कर सकता है।

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