

ग्राम सेतु ब्यूरो.
सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना 2025-26 को लागू कर दिया है। इस योजना का उद्देश्य भूमि विकास बैंकों के उन ऋणी सदस्यों को आर्थिक राहत देना है, जिनके ऋण लंबे समय से अवधिपार हो चुके हैं। दक ने बताया कि इस योजना के लिए राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है। इसके अंतर्गत 1 जुलाई 2024 तक अवधिपार हो चुके समस्त ऋण मामले, जिनमें 2014-15 से राज्य सरकार की ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत वितरित ऋण शामिल नहीं हैं, राहत के पात्र होंगे। इस योजना के तहत यदि कोई ऋणी मूलधन और बीमा प्रीमियम की सम्पूर्ण राशि जमा करता है, तो राज्य सरकार द्वारा उस पर लगे अवधिपार ब्याज और दण्डनीय ब्याज की 100 प्रतिशत माफी दी जाएगी।
किसानों, लघु उद्यमियों को मिलेगा बड़ा लाभ
मंत्री ने कहा कि इस योजना से किसानों और लघु उद्यमियों को दोहरा लाभ मिलेगा दृ एक तरफ उनकी पुरानी देनदारियों से मुक्ति, दूसरी ओर उन्हें नवीन ऋण उपलब्ध कराकर उनकी आर्थिक स्थिति को सशक्त किया जाएगा। इससे भूमि विकास बैंकों की ऋण वसूली में तेजी आएगी और उनकी आर्थिक सेहत भी सुधरेगी। इस योजना में एक मानवीय पहल भी शामिल है। पूर्व में जब वसूली के लिए किसानों की भूमि की नीलामी कर भूमि विकास बैंकों ने स्वयं वह भूमि क्रय की थी, अब ऐसे मामलों में भूमि किसानों को लौटाई जाएगी।
मृतक ऋणियों के वारिसों को भी मिलेगा लाभ
राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि जिन ऋणियों की मृत्यु हो चुकी है, उनके वारिसों को भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा। योजना का क्रियान्वयन डिजिटल पारदर्शिता के साथ किया जाएगा। इसके लिए एक पोर्टल विकसित किया गया है, जहां पात्र ऋणी सदस्य अपना जनाधार नंबर और मोबाइल नंबर संबंधित भूमि विकास बैंक को प्रस्तुत कर आवेदन कर सकेंगे।
5 फीसद ब्याज दर पर मिलेगा नवीन ऋण
इस योजना के लाभार्थियों को पुनः मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें राज्य सरकार की 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान योजना के तहत कृषि एवं अकृषि कार्यों के लिए नवीन ऋण प्रदान किया जाएगा। इससे लाभार्थी अपनी आजीविका को सशक्त और स्थिर बना सकेंगे। दक ने भूमि विकास बैंकों के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि योजना के प्रति व्यापक जागरूकता फैलाई जाए और हर पात्र व्यक्ति तक जानकारी और लाभ सुनिश्चित रूप से पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को चाहिए कि वे स्वयं प्रेरक की भूमिका निभाएं और हर ऋणी सदस्य को योजना से जोड़ने का प्रयास करें।